क्या राजीव गांधी ने 27% ओबीसी आरक्षण को रोकने की कोशिश की थी? क्या थी उनकी मानसिकता

Did Rajiv Gandhi try to stop 27% OBC reservation What was his mindset

सनसनीखेज खुलासा: जानिए कैसे राजीव गांधी ने मंडल कमीशन और 27% ओबीसी आरक्षण को रोकने की कोशिश की और इसके लिए मुसलमानों और ईसाइयों को ढाल बनाया था (देखिए लोकसभा की साइट पर राजीव गांधी का भाषण, 6 सितंबर, 1990) आगे पढ़िए…. अगर राजीव गांधी ने 1990 में ये लड़ाई जीत ली होती और बीजेपी उस समय संसद में कांग्रेस का साथ दे देती, तो देश में आज ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होता और लाखों लोगों को नौकरी और एडमिशन न मिलता इतिहास जो आपका जानना चाहिए. देश के हर ओबीसी को ये बात जाननी चाहिए

Did Rajiv Gandhi try to stop 27% OBC reservation What was his mindset
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Did Rajiv Gandhi try to stop 27% OBC reservation?

ये देश की आधी से अधिक आबादी का मामला है. मंडल कमीशन की रिपोर्ट 1980 में आई थी इसे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों ने दस साल के लिए रोके रखा. 7 अगस्त 1990 को वीपी सिंह ने इसमें से 27% नौकरी ओबीसी को देने वाली सिफारिश लागू कर दी. इस मसले पर लोकसभा में 6-7 सितंबर, 1990 को बहस हुई, जिसे आज भी देखा जा सकता है. बीजेपी उस समय सरकार के समर्थन में थी कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में थी

आरक्षण के खिलाफ राजीव गांधी

राजीव गांधी आरक्षण के खिलाफ बोलने के लिए खड़े हुए और यहां पर उन्होंने अपने जीवन का सबसे लंबा भाषण दिया. राजीव गांधी कहते हैं: “Sir, the fact of the matter is that minorities have not got their just due… The fact of the matter is that by playing games this reservation, they have deliberately blocked the minorities from getting any benefit. The Prime Minister should answer how he is going to help the socially and educationally backward minority communities.”

हिंदी में इसे समझे। वे कह रहे हैं कि – “महोदय, सच्चाई यह है कि अल्पसंख्यकों को उनका उचित हक नहीं मिला है… सच्चाई यह है कि आरक्षण के साथ खेल खेलकर उन्होंने (प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने) जानबूझकर अल्पसंख्यकों को किसी भी लाभ से वंचित कर दिया है। प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि वह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक समुदायों की कैसे मदद करेंगे।”

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राजीव गांधी आगे कहते हैं : “They have not included very large sections of the minority who should be included. If you look at the Muslims, the vast majority of the Muslim community in India is backward educationally, socially, economically everywhere. The same thing is true for Christians. The same thing is true even for Sikhs who are by and large okay, but there are still groups who are not all right. It is true for almost every religion as groups who are socially and educationally backward. Why should they not be included? The Government must explain this; the country wants to know.”

इसे हिंदी में समझें। राजीव गांधी कह रहे हैं- “उन्होंने (सरकार ने) अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े हिस्सों को शामिल नहीं किया है जिन्हें शामिल किया जाना चाहिए। अगर आप मुस्लिम समुदाय को देखें, तो भारत में मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। यह बात ईसाइयों पर भी लागू होती है। यह बात सिखों पर भी लागू होती है, जो अधिकांशतः ठीक हैं, लेकिन फिर भी ऐसे समूह हैं जो पिछड़े हुए हैं। यह लगभग हर धर्म के लिए सही है, क्योंकि उनमें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए समूह होते हैं।

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इन्हें शामिल क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए; देश जानना चाहता है।” यहां राजीव गांधी स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक कार्ड खेलकर मंडल कमीशन और 27% ओबीसी आरक्षण को रोकने की कोशिश करते दिखते हैं ये तब है जबकि मंडल कमीशन ने ओबीसी की जो लिस्ट बनाई है उसमें मुसलमानों, ईसाइयों और सिखों की सैकड़ों जातियां हैं मंडल कमीशन का आधार धार्मिक रखा ही नहीं गया था

इस बात को ध्यान रखें तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि मनमोहन सिंह ने क्यों कहा होगा कि देश के संसाधनों पर “खास तौर पर” पहला दावा मुसलमानों को हैया क्यों आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारों ने ओबीसी से काटकर मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया

कांग्रेस की ये नीति पुरानी निरंतरता में है. संविधान में अनुच्छेद 340 में पिछड़ों वर्गों के लिए प्रावधान होने के बावजूद नेहरू सरकार ने जब उनके लिए कुछ नहीं किया तो इसे अपने इस्तीफे की एक वजह बताते हुए बाबा साहब ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था इसके बाद नेहरू ने तमाम मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था कि आरक्षण से कार्यक्षमता प्रभावित होगी मनमोहन सिंह ने अचानक से कुछ नहीं कहा था क्या कांग्रेस अपने पापों का प्रायश्चित करेगी? एससी-एसटी-ओबीसी का भला करने के लिए कांग्रेस को अपनी विरासत और नेहरू, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के अल्पसंख्यकवाद को अलविदा कहना होगा

Source: Dilip Mandal @Profdilipmandal

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राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर दिलीप मंडल जी आयें दिन सुर्खियों में बने रहते हैं उनके एक-एक पोस्ट पर कई हजारों रिट्वीट होते हैं और उनकी बातों पर बात विमर्श होता है। कई बार उनका कहा मंच से भारत के प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी भी उनकी कहीं बातों का जिक्र करते हैं। उनकी बातें कहीं कभी-कभी बीजेपी को फायदा पहुंचा जाती है तो कहीं ना कहीं और अन्य पार्टियों को फायदा पहुंचती हैं। मगर बात आज की हो रही है, आज के लोगों की हो रही है, आज के नए नेताओं की हो रही है।

जब हम बात करते हैं कि इस पार्टी ने यह काम कर किया, यह नहीं किया, यह करना चाहती है, यह नहीं करना चाहती है, तो हमें अपने सांसद पर भरोसा कर खुद पर यह यकीन रखना होगा की जो भी फैसला आने वाली सरकार लेगी उसपर हमारा चुना गया सांसद किसी पार्टी को मद्देनजर रखते हुए फैसला नहीं लेगा वह हमारे बीच जो फैसला होगा उसपर वह अमल करेगा।

अगर हम ऐसा सांसद चुनने में कामयाब हो गए तो कभी भी कोई भी पार्टी हमारे अधिकार छीन नहीं सकती। मगर यह बात उतना ही सरल है जितना सरल समझा जा सकता है मगर सच्चाई यह है कि भारत में एक बार सांसद विधायक या कोई भी नेता अपनी पद भी पाते ही जनता, समाज, धर्म, जाति राज्य, देश किसी के बारे में नहीं सोचता वह बस अपना देखता है, अपने पार्टी का देखता है और अपना आने वाला भविष्य को देखता है कि हम कैसे किसी पार्टी में रहकर अपनी पदवी बचा पाए।

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