Chiropractor in hindi: कैसे बनें कायरोप्रैक्टर, कायरोप्रैक्टर क्या होता है? कायरोप्रैक्टर एक स्वास्थ्य सेवा देने वाला डॉक्टर होता है जो मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम, विशेषकर रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और जोड़ों (जॉइंट्स) के दर्द के निदान और उपचार का विशेषज्ञ होता है। कायरोप्रैक्टर की मुख्य भूमिका होती है दर्द निवारण और शारीरिक कार्यक्षमता को बेहतर करना, विशेषकर पीठ, गर्दन और जोड़ों के दर्द के मामलों में।
Chiropractor in hindi | कैसे बनें कायरोप्रैक्टर

कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा के प्रमुख तत्व
कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा के प्रमुख तत्व कौन-कौन से हैं?
मैनुअल थेरेपी (Manual Therapy):
कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा में मुख्य रूप से मैनुअल थेरेपी का उपयोग किया जाता है, जिसमें हाथों से जोड़ों और रीढ़ की हड्डी की हेरफेर (manipulation) करके इलाज किया जाता है । इसको आम तौर पर स्पाइनल मैनिपुलेशन या कायरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट भी कहा जाता है।
डायग्नोसिस और आकलन (Diagnosis and Assessment):
कायरोप्रैक्टर मरीज की समस्या का निदान करने के लिए विस्तृत जानकारी लेते हैं जैसे क्या करते हैं, क्या खाते हैं, सुबह कब उठते हैं ऐसे तमाम सवाल और फिर शारीरिक परीक्षण भी करते हैं। इसके लिए वे एक्स-रे, MRI और अन्य कई तरह की जांच-पड़ताल करते जिसमें कई तकनीकों का भी उपयोग उपयोग होता हैं।
निवारक देखभाल (Preventive Care):
कायरोप्रैक्टिक देखभाल न केवल उपचार पर केंद्रित होती है, बल्कि भविष्य में होने वाले समस्याओं की रोकथाम पर भी काफ़ी ध्यान देती है। इसके लिए मरीजों को व्यायाम, पोषण और जीवनशैली में सुधार की सलाह दी जाती है।
कैसे बनें कायरोप्रैक्टर | कायरोप्रैक्टर का क्या होता है काम

कायरोप्रैक्टर एक स्वास्थ्य सेवा डॉक्टर होता है जो मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम, विशेषकर रीढ़ की हड्डी, के दर्द के निदान और उपचार में विशेषज्ञ माना जाता है। अगर आप भी एक कायरोप्रैक्टर बनना चाहते हैं, तो यह लेख आपकी इच्छा पूरी करेगा। आइये जानें कि आप कैसे एक सफल कायरोप्रैक्टर बन सकते हैं।
step 1. शुरुआती शैक्षिक योग्यता प्राप्त करें
कायरोप्रैक्टर बनने के लिए सबसे पहले आपको अच्छे से पढ़ने की आवश्यकता होगी। आपको 12वीं कक्षा में बायोलॉजी, केमिस्ट्री, और फिजिक्स जैसे विषयों का अध्ययन करना होगा मतलब आप अपना Biology वाला Stream चुन सकते हैं जिसको मेडिकल फील्ड कहा जाता है । इसके बाद, आपको एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से प्री-मेडिकल या संबंधित क्षेत्र में बैचलर डिग्री हासिल करनी पड़ेगी।
step 2. कायरोप्रैक्टिक कॉलेज में दाखिला लें
मेडिकल में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद, आपको एक कायरोप्रैक्टिक कॉलेज में दाखिला लेना पड़ेगा। इस कार्यक्रम की अवधि लगभग 4 साल होती है और इसमें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक इमेजिंग और कायरोप्रैक्टिक तकनीकों पर गहराई में अध्ययन करना पड़ेगा।
step 3. क्लीनिकल इंटर्नशिप
शैक्षिक प्रशिक्षण के दौरान, आपको एक क्लीनिकल इंटर्नशिप करना जरूरी होता है । यह इंटर्नशिप आपको मरीजों के साथ काम करने का अनुभव देगी और आपको अपने स्किल को विकसित करने का मौका मिलेगा। इंटर्नशिप सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह आपको व्यावहारिक ज्ञान और आत्मविश्वास पर जोर देगा जिससे आपको मरीजों के साथ कोई दिक्कत नहीं होगी।
step 4. कैसे लाइसेंस प्राप्त करें
कायरोप्रैक्टिक कॉलेज से स्नातक होने के बाद, आपको अपने राज्य या देश के नियम के अनुसार नियामक बोर्ड से लाइसेंस के लिए Apply करके लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए आपको नेशनल बोर्ड ऑफ कायरोप्रैक्टिक एग्जामिनर्स (NBCE) द्वारा ले जानें वाली परीक्षा को पास करना होगा। कुछ राज्यों में अलग से राज्य स्तरीय परीक्षाएं भी होती हैं जिन्हें आपको पास करना पड़ सकता है।
step 5. कैसे अनुभव लें
लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, आप विभिन्न क्षेत्रों में Experience कर सकते हैं जैसे कि स्पोर्ट्स मेडिसिन, पैडियाट्रिक कायरोप्रैक्टिक या न्यूरोलॉजी। विशेषीकरण से आप अपनी सेवाओं का भी विस्तार कर सकते हैं और अपने करियर को नई ऊंचाइयों के लिए अच्छे अनुभवों के साथ अपनी काम शुरू कर सकते हैं।
step 6. अनुभव और नेटवर्किंग
एक सफल कायरोप्रैक्टर बनने के लिए अनुभव और नेटवर्किंग बहुत ज़रूरी हैं। अपने क्षेत्र में अनुभवी डॉक्टरों से सीखें, सम्मेलनों और कार्यशालाओं में भाग लें और अपने नेटवर्क का दूर-दूर तक विस्तार करें।
step 8. आपको एक क्लिनिक खोलना होगा।
अगर आप अपने क्लिनिक खोलना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक अच्छी जगह चुनना होगा । आवश्यक उपकरण और स्टाफ की भी व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही, मार्केटिंग और विज्ञापन के माध्यम से अपने क्लिनिक की पहचान बनानी होगी। अगर आप अपने क्लिनिक पर किसी विशेष कलाकार को लाने में सक्षम हो गये तो आपको क्लिनिक तेजी से फेमस हो जाएगी।
step 9. आपको मरीजों के साथ अच्छे संबंध बनाने होंगे
एक सफल कायरोप्रैक्टर बनने के लिए मरीजों के साथ अच्छे संबंध बनाना बहुत जरूरी है। अपने मरीजों की समस्याओं को ध्यान से सुनें, उन्हें उचित समय दें और उनकी खुशी के लिए उनकी बातें सुन उसपर अमल करें ।
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