#ModiAtIndiaToday भाजपा चुनावी बांड योजना घोटाला: विवादास्पद धन उगाने की रणनीति का हुआ खुलासा
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From economic reforms to diplomatic achievements, #ModiAtIndiaToday discusses the milestones and challenges shaping India's trajectory. Don't miss it! pic.twitter.com/n3UaDjBiUu
— Anurag (@LekhakAnurag) March 16, 2024
हाल के दिनों में, चुनावी बांड योजना में 6000 करोड़ का भ्रष्टाचार उजागर हुआ, BJP बदले की भावना और दुरुपयोगो के आरोपों के साथ गहन जांच के दायरे में आ गई है। एक सामाजिक-आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में, राजनीतिक दलों, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा नियोजित इस विवादास्पद धन उगाने वाले तंत्र पर प्रकाश डालना आवश्यक हो गया है । आइए चुनावी बांड घोटाले और इससे जुड़े विषयों पर गौर करें।

Electoral Bond Case: चुनावी बांड योजना क्या होती है?
चुनावी बांड योजना 2018 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अर्थात मोदी सरकार द्वारा कार्यकाल में लायी गई थी।
इसके काम इस प्रकार हैं जैसा कि पहले ये गुमनामी के दायरे में पड़ी अंधेरी कोठरी की कोई काली शिलालेख हो जिसपे किसी की नज़र नहीं पड़ती है, अब इस अंधियारे में काली नज़र पड़ी है सुप्रीम कोर्ट की, अब सभी के होश ठिकाने पर आयेंगे ।
1. गुमनाम दान: गुमनाम दान ये दान बड़ी कंपनियों के फायदे पर निर्भर करती है जैसा उनका जिस पार्टी से फ़ायदा या फायदे की उम्मीद हो तो वह उस पार्टी के नेतृत्व में अपनी क्षमता और इच्छा के अनुसार दान देती है और ये पैसा बिना किसी बैंकों से होते हुए पार्टी के खाते में जाता है। यह चुनावी बांड व्यक्तियों और कंपनियों को गुमनाम रूप से राजनीतिक दान देने की अनुमति देते हैं।
2. क्रय बांड: यह दान Officially किसी पार्टी को सपोर्ट करने के लिए एक बेहतरीन तरीका है जिससे उस पार्टी से मिलने वाली सुविधाओं का भलीभांति लाभ उठाया जा सके, दानकर्ता इन बांडों को अधिकृत बैंकों से खरीदते हैं और पैसा राजनीतिक दलों को हस्तांतरित कर दिया जाता है।
3. चैनलिंग फंड: ये सबसे अचूक तरीका माना जाता है सावधानी पूर्वक अपने मन पसंद पार्टी को अपनी सहमति देना अर्थात् पैसे से मदद करना जिसमें दानकर्ता की पहचान उजागर किए बिना धनराशि सीधे राजनीतिक दलों के बैंक खातों में जमा की जाती है।
इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद यह पहला विश्लेषण है जिसे एसबीआई ने चुनाव के बाद तक स्थगित करने के कई हफ़्तों के प्रयास के बाद कल रात सार्वजनिक किया:
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 15, 2024
•1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने इलेक्टोरल बांड के रूप में दान दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को…
आरोप: भाजपा की विवादास्पद घोटाला
आलोचकों का तर्क है कि भाजपा ने चुनावी बांड योजना का इस्तेमाल उन कंपनियों से धन वसूलने के तरीके के रूप में किया जो ED CBI और Tax एजेंसियों की जांच के दायरे में थीं।
जांच एजेंसियों की धमकी ने कथित तौर पर कंपनियों को चुनावी बांड के माध्यम से योगदान करने के लिए मजबूर किया।
भाजपा की “चंदा दो, धंधा लो” नीति (धन के बदले में अनुबंध) ने बदले की भावना का संदेह पैदा कर दिया है।
इन मनी लॉन्ड्रिंग का संदेह केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर मौजूद कंपनियों और प्रमुख परियोजनाओं को हासिल करने वाली कंपनियों ने कथित तौर पर चुनावी बांड के माध्यम से अपनी योग्यताओं से पर्याप्त योगदान दिया।
कथित तौर पर धन जुटाने के लिए कई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया।

क्या ये है आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला?
एआईसीसी महासचिव जयराम रमेश ने चुनावी बांड योजना को आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताया है उनके खुलासों ने भाजपा की विवादास्पद धन उगाही रणनीति को उजागर कर दिया है और पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अखंडता पर कई सवाल उठाए हैं।
चूंकि चुनावी बांड योजना बहस का विषय बनी हुई है, इसलिए भारतीय लोकतंत्र पर इसके प्रभाव की बारीकी से निगरानी करना महत्वपूर्ण है। जनता का विश्वास बनाए रखने और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता और नैतिक धन उगाहने की प्रथाएं आवश्यक हैं अब देखना ये होगा कि हमारा देश इसपर कैसा विचार विमर्श करता है या किसी दूसरे मुद्दो से इसको भटकाया जाता है।
हमारे TV मीडिया केवल अडानी अम्बानी का ज़िक्र न होने को लेके अपनी बात विमर्श कर रहीं हैं और कोई गलतियां गिनवाने के बजाय अभी भी तारीफों के पुल बांधने में लगी है।
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