4 ल़डकियों की कहानी जो जाति में भिन्न है, रूबरू होंगे आप अनछुए हक़ीक़त से, पढ़ें A.U.R.A.T.

पुस्तक:- A.U.R.A.T लेखक:- शिव आशीष सिन्हा @simply.shiv प्रकाशन:- @rajmangalpublishers कुल पृष्ठ:- 329

A.U.R.A.T....... इस पुस्तक का नाम देखकर ही आपके मन में यह कौतूहल उत्पन्न होगा कि एक हिंदी उपन्यास का नाम अंग्रेजी के अक्षरों में इस तरह क्यों लिखा हुआ है और यही कौतूहल आपको इस पुस्तक के पन्ने पलटने पर विवश कर देगा।

बात करें कहानी की तो इस कहानी की केंद्र बिंदु 4 लड़कियां अनुषा, उर्मी, रेचल, आफिया हैं जो बात विचार, जाति धर्म में एक दूसरे से भिन्न है और साझे के फ्लैट में रहती हैं; सपनों के शहर मुंबई में अपने अपने सपनों को उड़ान देने तथा अपने पैरों में बंधी रूढ़िवादी सामाजिक जंजीरों को तोड़कर आगे बढ़ने के लिए आई हैं। समय के साथ इनकी मित्रता और प्रगाढ़ हो जाती है।

एक दिन यूंही बैठे हुए इन्हें एक चैनल बनाने की सुझती है जिसका मुख्य उद्देश्य औरतों व लड़कियों के मुद्दों पर फोकस करना होता है और इसको नाम दिया जाता है A.U.R.A. Aura एक ऐसा माध्यम जिसके द्वारा इनका उद्देश्य समाज की प्रत्येक स्त्री को उसके होने के मकसद, अस्तित्व, अधिकार, उसकी दहलीज, सीमाएं, और औकात से अवगत कराना है।

इसी क्रम में AURA के सदस्यों को एक गुमशुदा लड़की "तुली" के विषय में पता चलता है जिसको समाज की नजरों में भगौड़ी लड़की का दर्जा दे दिया जाता है। जिसको ढूंढने की चाह इन्हें मुंबई से अररिया ले आती है। क्या ये लोग तुली को ढूंढ पाएंगे? तुली कैसे गायब हुई? A.U.R.A, A.U.R.A.T में कैसे तब्दील हुआ? क्या A.U.R.A अपने उद्देश्य को पूरा करने में कामयाब हो पता है? यह जानने के लिए आपको पुस्तक पढ़नी पड़ेगी।

बहरहाल बात करें पुस्तक की तो सरल भाषा में लिखी यह पुस्तक स्वयं में जिज्ञासा समेटे हुए है। प्रत्येक पृष्ठ के पश्चात एक नया प्रश्न आपको पुस्तक पढ़ने को विवश करेगा।

पुस्तक एक नई सी सोच का कथानक जो स्वयं में भिन्नता लिए हुए है, आज के युवाओं की जो ठान लिया वह कर के दिखाना है वाली जिद या कहें दृढ़ संकल्पित होना भी दिखलाता है। पात्रों के सहज वार्तालाप के बीच जहां गंभीरता आती है तो वही प्रतीकों, उपमाओं एवम बिंबों के शानदार प्रयोग से मनोरंजन भी प्रस्तुत कर दिया है। हास्य का पुट भी है तो भावनात्मकता के दृश्य भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा गए हैं।